सम्पादकीय । आत्मनिर्भरता का मंत्र राीय पंचायती राज दिवस पर देशभर केसरपंचों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोरोना काल का सबसे बड सबक यही है कि हम आत्मनिर्भर बनें। उन्होंने किसानों को श्रेय दिया कि उनके योगदान के चलते लाकडाउन में देश में अनाज, सब्जी व दूध की आपूर्ति निर्बाध रूप से चलती रही। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महामारी का देश के गांवों ने जिस तरह |मुकाबला किया उसे पूरी दुनिया ने देखा। खासकर 'दो गज की शारीरिक दूरी' का संदेश खासा चर्चा में आया। उन्होंने कहा कि इस संकट ने हमें अपनी कार्यशैली में बदलाव करने का मौका दिया। यही वजह है कि अब हम रूबरू नहीं हैं, मगर लाखों पंचायतों से सीधा संवाद हो पा रहा है। ये देश की पंचायतों में डेढ लाख ब्रॉडबैंड कनेक्शन लगने से संभव हुआ। प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी के उस कथन को विस्तार दिया, जिसमें गांवों में भारत की आत्मा बसने की बात कही गई थी। उन्होंने ग्राम पंचायतों को लोकतंत्र की एकजुट शक्ति का केंद्र बताया। उन्होंने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने की शुरुआत गांवों की सामूहिकशक्तिसेही संभव होगी।प्रधानमंत्री |ने शुक्रवार को एकीकृत ई-ग्राम स्वराज पोर्टल की भी शुरुआत की, जिसके जरिये गांव के विकास की योजनाओं के नियमन में मदद मिलेगी, जिसमें गांवों केफंड और उसकेकामकाज की पूरी जानकारी होगी। इससे जहां ग्रामीण विकास केकार्यक्रमों में पारदर्शिता आयेगी, वहीं विकास कार्यों को गति मिलेगी। इसके साथ ही सरकार ने ग्रामीण जीवन से जुड़े नये अभियान की शुरुआत करते हुए स्वामित्व योजना की शुरुआत की। इस योजना के अंतर्गत ड्रोन के जरिये गांव की संपत्ति का लेखा-जोखा तियार किया जायेगा। साथ ही स्वामित्व का प्रमाणपत्र भी दिया जायेगा, जिसके जरिये किसान बैंकसे ऋटा ले सकेंगे। साथ ही इससे स्वामित्व को लेकर होनेवाले झगड़ों को भी टाला जा सकेगा। सही मायनों में कोरोना काल का सबक हमें आने वाली चुनौतियों के मुकाबले के लिए सक्षम बनायेगा। लॉकडाउन के दौरान समाज के कमजोर वर्गों को जो खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा सका, वह किसानों केयोगदान का सुफल था कि हमारे गोदाम धन-धान्य से परिपूर्ण रहे हैं। अभी भी इस दिशा में बहुत काम किया जाना बाकी है, खासकर पंचायत स्तरों पर अनाज भंडारण की पर्याप्त क्षमता, ताकि किसान को फसल काटते ही मंडियों की तरफन भागना पड़े। साथ ही सब्जियों व फलों के संग्रहण के लिए कोल्ड स्टोरेज की श्रृंखला को विस्तार देने की आवश्यकता है, जिससे लॉकडाउन जैसी परिस्थितियों में सब्जियों व फल का उचित संग्रहण हो सके। इसके अभाव में किसानों को औने-पौने दामों में फसल बेचनी पड़ती है और उसकी मेहनत का पैसा भी नहीं मिल पाता। दरअसल, जब उत्पादन अधिक होता है तो मांग-आपूर्ति के असंतुलन से सब्जी व अनाज केदाम गिर जाते हैं। दरअसल, हमें कोरोना जैसी महामारियों के लिए अभी से तैयार रहना चाहिए।
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