पालघर में शर्मसार हुई उद्धव सरकार-कृष्णमोहन परन्तु तुम्हारी देश में कोरोनावायरस के भी मुख्यमंत्री के समान ही इस नृशंस ऊपर टूट पड़ी। दोनों संतों ने घटना गलतफहमी संक्रमण की शुरुआत के बाद महाराष्ट हत्याकांड के पीछे मात्र एक गलत स्थल पर मौजूद पुलिस अधिकारियों समझी में यह संक्रमण इतनी तीव्र गति के फहमी नजर आ रही है। महाराष्ट्र की से बहुत. मिन्नतें की कि वे हिंसक जांच साथ फैला कि महाराष्ट्र को लोग देश गठबंधन सरकार के तीनों घटकों के भीड से उनकी प्राण रक्षा करें परंतु की गठबंधन में सर्वाधिक कोरोना प्रभावित राज्य नेता आखिर इस सवाल से कैसे मुंह पुलिस अधिकारियों ने उन्हें भीड़ के अवश्य के रूप में जानने लगे परंतु अब इस मोड़ सकते हैं कि दोनों संतों के भगवा हवाले कर वहां से भाग जाने में ही हिंसक राज्य की एक पहचान यह भी बन वस्त्र देख कर भी उन्मादी भीड उन्हें अपनी भलाई समझी। भीड ने दोनों उनके गई है कि यहांउन्मादी भीड द्वारा दो चोर समझने की भूल कैसे कर संतों और उनके ड्रायवर के साथ जो फलस्वरूप संतों की नृशंस हत्या भी की जा बैठी? घटना स्थल पर तैनात गठबंधन बर्बरता दिखाई उसे शब्दों में वर्णन उपजे सकती है। देश की आर्थिक राजधानी सरकार की पुलिस भी क्या इसी नहीं किया जा सकता। सवाल यह उसके के रूप में सारी दुनिया में विख्यात गलतफहमी का शिकार हो गई थी उठता है कि घटनास्थल पर पुलिस पाएगाइस राज्य में विगत दिनों जब लगभग कि उन्मादी भीड़ जिन दो संतों के अधिकारियों को भी क्या उन संतों है कि तीन सौ लोगों की सशस्त्र भीड ने दो साथ बर्बरता से पेश आ रही है वे के संत होने पर सदेह था या फिर के बाद निहत्थे साधुओं और उनके ड्रायवर सन्त नहीं हैं ? पालघर में पुलिस की उन्हें यह भय था कि अगर वे हिंसक एक सशक्त की बर्बरता से हत्या कर दी तो महाराष्ट्र भूमिका पर कई सवाल उठ रहे हैं भीड से संतों और उनके ड्रायवर की का फैसला की गठबंधन सरकार के किसी भी और उन सभी सवालों का जवाब रक्षा करेंगे तो फिर भीड उन्हें ही मार घटक के किसी भी नेता ने उस घटना महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार को डालेगी। बात जो भी रही हो परन्तु त की कठोर शब्दों में निन्दा करने के देना होगा। उद्धव सरकार ने घटना यह तो निश्चित रूप से कहा जा सकता बजाय उसे मात्र एक गलतफहमी से स्थल पर मौजूद एक पुलिस निरीक्षक है कि पुलिस ने कानून व्यवस्था बनाए अमेरिका उपजे तात्कालिक आक्रोश का दखद और एक सहायक पुलिस निरीक्षक रखने की अपनी जिम्मेदारी से मुंह भेज दूं परिणाम बचाकर उक्त घटना की को निलंबित कर उक्त घटना की सी मोड़कर परोक्ष रूप से हिंसक भीड होगा, जहां गंभीरता से मंह मोड लेने में भी कोई आई डी जांच के आदेश दे दिए हैं का साथ दिया। पालघर में घटनास्थल वियतनाम संकोच नहीं किया। यह इसलिये परंतु जिस तरह से राज्य की गठबंधन पर मौजूद पुलिस अधिकारियों एवं लगते हैंतो आश्चर्य का विषय है क्योंकि इस सरकार के घटक दलों के नेता इस कर्मचारियों ने कर्तव्यपालन में जो सेसमझौता समय गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री भयावह घटना को मात्र एक कोताही बरती उसके कारण केवल भाग रहेहैंपद की बागडोर उस शिवसेना के गलतफहमी का परिणाम मानकर महाराष्ट्र पुलिस ही नहीं बल्कि पूरी कहनेवाला पास है जिसके संस्थापक स्वर्गीय उसकी गंभीरता को कम करने की सरकार को ही शर्मसार होना पड़ा है। हैं। वह बाला साहब ठाकरे ने ता उम्र हिंदत्व कोशिश कर रहे हैं उससे सरकार यह बात अलग है कि वहां की वाले बस में अपनी दढ आस्था पर गर्व किया। की मंशा पर संदेह होना स्वाभाविक गठबंधन सरकार अपनी शर्मिन्दगी कगा। आज स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे के है। छिपाने के प्रयास में कोई कसर नहीं ले लो। पुत्र उद्धव ठाकरे के मुख्य मंत्री पद गौरतलब है कि मुंबई के छोड़ रही है। मौके पर मौजूद पुलिस पास तोपकी कर्सी पर आसीन होते हए भी कांदिवली इलाके में स्थित आश्रम ने दोनों संतों एवं उनके ड्रायवर को न, उसी अगर पालघर में तीन सौ असामाजिक से दो संत कल्पवृक्षगिरी महाराज और हिंसक भीड से बचाने की कोई बड़े बड़ेसेठ तत्वों के द्वारा दो निहत्थे निर्दोष संतों सुशील गिरी महाराज सूरत में दिवंगत कोशिश नहीं की और भीड को दूंअच्छाऔर उनके ड्रायवर की नृशंसता पूर्वक एक संत के अंतिम संस्कार में शामिल नियंत्रित करने का भी कोई प्रयास खोलना हत्या कर दी जाए और मुख्यमंत्री होने के लिए कार से जा रहे थे जिसे नही किया। घटना स्थल पर मौजूद जमीन गिरवी को इस दर्दनाक घटना के मूल में ड्राइवर नीलेश तेलगेडे चला रहा था। पुलिस की निष्क्रियता निश्चित रूप इसी तरह केवल एक गलतफहमी नजर आए भगवा वस्त्रधारी संतों की कार जब से कई सवाल खड़े करती है जिनका बच्चन तो इसे घटना की गंभीरता से जान पालघर की सीमा पर पहुंची तो पुलिस ऐसा कोई संतोषजनक जवाब पास क्या बूझकर मुंह मोड़ने की कोशिश ही ने आगे जाने से रोक दिया। इसके फिलहाल तो उद्धव सरकार के पास अमेरिका
पालघर में शर्मसार हुई उद्धव सरकार-कृष्णमोहन परन्तु