लोकसभा चुनाव 2019 में दिल्ली की सभी सातों संसदीय सीट जीतकर बीजेपी ने विपक्ष का सफाया कर दिया था. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली की 65 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई थी और कांग्रेस पांच सीटों पर आगे थी. आठ महीने में दिल्ली का सियासी मिजाज ऐसा बदला कि अब यह कहा जा रहा है कि बीजेपी को शाहीन बाग का करंट लगा है.
- लोकसभा चुनाव में बीजेपी दिल्ली की 65 विधानसभा सीटों पर आगे थी
- विधानसभा चुनाव में AAP का जलवा बरकरार, बीजेपी को लगा करंट
दिल्ली विधानसभा चुनाव की जंग जीतने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन अब उसे शाहीन बाग का करंट लग सकता है. महज आठ महीने में दिल्ली का सियासी मिजाज पूरी तरह से बदला गया है. इसी का नतीजा है कि लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सातों संसदीय सीटें जीतने वाली बीजेपी को विधानसभा चुनाव में करारा झटका लगता नजर आ रहा है तो आम आदमी पार्टी एक बार फिर प्रचंड जीत के साथ सत्ता पर काबिज होती दिख रही है.
दिल्ली विधानसभा चुनावों के एग्जिट पोल के मुताबिक दिल्ली की जनता ने एक बार फिर केजरीवाल को दिल्ली की सत्ता सौंपने के लिए वोट किया है. आजतक-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल के अनुमान की मानें तो आम आदमी पार्टी को 59 से 68 सीटें मिल सकती हैं तो बीजेपी को 02-11 सीटें मिलने का अनुमान है. वहीं, कांग्रेस का एक बार फिर खाता खुलता नहीं दिख रहा है. दिल्ली चुनाव के लेकर सभी एग्जिट पोल में AAP को प्रचंड बहुमत और बीजेपी की हार का अनुमान किया है.
बता दें कि लोकसभा चुनाव2019 में जब दिल्ली की सभी सातों विधानसभा सीटें बीजेपी जीतने में कामयाब रही थी और आम आदमी पार्टी तीसरे नंबर पर रही थी. लोकसभा चुनाव के नतीजों को अगर दिल्ली विधानसभा के सीट के लिहाज से देखें तो बीजेपी को कुल 70 में से करीब 65 सीटों पर मज़बूत बढ़त मिली थी.
लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी पांच सीटों पर आगे थी और आम आदमी पार्टी को दिल्ली की किसी भी विधानसभा सीट पर बढ़त नहीं मिली थी. लोकसभा चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस का ग्राफ बढ़ा था. कांग्रेस लोकसभा चुनाव में पांच विधानसभा सीटों पर नंबर एक पर थी और 47 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी. लेकिन विधानसभा चुनाव में उसे नुकसान होता नजर आ रहा है. संसदीय चुनाव में मुस्लिम मतदाता जो कांग्रेस के पक्ष में वोट किए थे, एग्जिट पोल के मुताबिक वह विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के पक्ष में वोटिंग करते दिखे हैं. इसीलिए मुस्लिम बहुल सीटों पर नतीजे आम आदमी पार्टी के पक्ष में जा सकते हैं.
दरअसल दिल्ली का मतदाता, जहां आठ महीने पहले दिल्ली की यही जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में खड़ी थी, विधानसभा चुनाव में उसी जनता की पंसद केजरीवाल बनते दिख रहे हैं. लोकसभा चुनाव में हार के बाद से केजरीवाल ने अपनी सियासी रणनीति में बदलाव किया और उन्होंने पीएम मोदी को सीधे टारगेट करना बंद कर दिया था और अपने काम को लेकर फोकस किया.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी फ्री पानी-बिजली सहित अपने कामों को लेकर जनता के बीच में थी. आम आदमी पार्टी ने अपना चुनाव प्रचार पूरी तरह सकारात्मक रखा तो बीजेपी सीधे केजरीवाल को टारगेट करती रही. CAA के खिलाफ शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन के मुद्दे पर बीजेपी ने आक्रमक रुख अख्तियार कर रखा था और राष्ट्रीय मुद्दों के इर्द-गिर्द अपने आपको सीमित कर रखा था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तक ने शाहीन बाग के मुद्दे को अपना प्रमुख चुनावी एजेंडा बनाया था और केजरीवाल को निशाने पर लिया था. ऐसे में केजरीवाल ने खुद को विक्टिम के तौर पर पेश कर सहानुभूति बटोरी. यही रणनीति पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव में अपनाई थी और दिल्ली चुनावों के प्रचार में केजरीवाल इसी तर्ज पर नजर आए. इसका सीधा राजनीतिक फायदा आम आदमी पार्टी का होता नजर आ रहा है.